मानसिक स्वास्थ्य कानून एवं नीति के तहत विद्यार्थियों को बताए तनाव मुक्त रहने, क्रिएटिव बनने और ऊर्जा का सकारात्मक उपयोग करने के गुर


गणेश कुमार स्वामी   2024-12-21 05:04:33



मानसिक स्वास्थ्य कानून एवं नीति के तहत आत्महत्या रोकथाम के लिए जागरूकता प्रशिक्षण संपन्न

बीकानेर, 21 दिसम्बर। जिला कलेक्टर श्रीमती नम्रता वृष्णि की पहल पर जिला प्रशासन द्वारा रवींद्र रंगमंच पर आयोजित दो दिवसीय मानसिक स्वास्थ्य कानून एवं नीति के तहत आत्महत्या रोकथाम के लिए जागरूकता प्रशिक्षण शनिवार को सम्पन्न हुआ। 

प्रशिक्षण के अंतिम दिन शहरी क्षेत्र के विभिन्न कोचिंग्स और कॉलेजों के विद्यार्थियों ने भागीदारी निभाई। विशेष वक्ता के रूप में बोलते हुए नैदानिक मनोवैज्ञानिक डॉ. अनिंदिता भट्टाचार्य ने कहा, कि एक रिपोर्ट के अनुसार प्रतिवर्ष दुनिया भर में 7 लाख 26 हजार लोग आत्महत्या करते हैं। इनमें 15 से 29 वर्ष आयुवर्ग के युवाओं की संख्या सबसे अधिक होती है। इससे बचाव के लिए बच्चों को अनावश्यक तनाव से मुक्त रखना सबसे जरूरी होता है। उन्होंने कहा, कि हर परीक्षा से पहले बच्चों की काउंसलिंग की जाए। बच्चों की किसी प्रकार की मानसिक समस्या को छुपाए नहीं। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य की परिभाषा, तनाव मुक्त रखने और देखदेखी नहीं करने, डीप ब्रीदिंग, क्रिएटिविटी आदि के बारे में बताया।  

नैदानिक मनोवैज्ञानिक डॉ. सुवर्णा जोशी ने कहा, कि जब हम तनाव में होते हैं, तो हमारे दिमाग में 90 प्रतिशत तक नकारात्मक ख्याल आते हैं। इन्हें समझने तथा उनके प्रति सजग रहने की जरूरत होती है। उन्होंने कहा, कि तनाव के दौरान ऐसे खयालों पर विश्वास नहीं करें तथा इन्हें दूर करने के लिए योग, प्राणायाम और ध्यान आदि को अपनाएं। उन्होंने कहा, कि हमारे पास 24 घंटे में उपयोग करने के लिए सीमित ऊर्जा होती है। इसका उपयोग सकारात्मक तरीके से करना  करने की योग्यता विकसित करना जरूरी है। उन्होंने कहा, कि बच्चे बाहर की चीजों पर फोकस करना बंद करें तथा खुद पर ध्यान दें।

इस दौरान उन्होंने विभिन्न आंकड़ों और प्रायोगिक गतिविधियों के माध्यम से आत्महत्या के सामाजिक और पारिवारिक दुष्प्रभावों के बारे में बताया। भारत सहित दुनिया के विभिन्न देशों में आत्महत्या से जुड़े कानूनों की जानकारी भी दी। इस दौरान पीबीएम अस्पताल के मानसिक रोग एवं नशा मुक्ति चिकित्सा विभाग द्वारा राष्ट्रीय टेली-मानसिक स्वास्थ्य कार्यक्रम के बारे में बताया गया। इसके टोल फ्री नंबर को शिक्षण संस्थानों में चस्पा करने का सुझाव दिया गया। 

जिला कलेक्टर की पहल पर आयोजित हुआ कार्यक्रम

उल्लेखनीय है कि जिला कलेक्टर की पहल पर दो दिवसीय कार्यक्रम के पहले दिन अभिभावक, कोचिंग संचालक, काउंसलर आदि मौजूद रहे। बच्चों को मानसिक तनाव से मुक्त रखने में उनकी भूमिका के सम्बन्ध में जागरूक किया गया। वहीं दूसरे दिन 16 से 21 वर्ष तक के विद्यार्थियों ने भागीदारी निभाई। 

डॉ. भट्टाचार्य और डॉ. जोशी ने देश भर में की अनेक कार्यशालाएं

बीकानेर में आयोजित दो दिवसीय प्रशिक्षण की प्रशिक्षक डॉ. अनिंदिता भट्टाचार्य 12 वर्षों शिक्षण और चिकित्सीय अनुभव के साथ नैदानिक मनोवैज्ञानिक हैं। उन्होंने मानसिक स्वास्थ्य और कल्याण से संबंधित विभिन्न कार्यशालाओं और सत्रों को संचालित किया है। मानसिक स्वास्थ्य, व्यक्तिगत विकास, सकारात्मक मनोविज्ञान और युवा विकास को बढ़ावा देने और रोकथाम में उनकी गहरी रुचि है। डॉ. सुवर्णा जोशी राष्ट्रीय मानसिक स्वास्थ्य और तंत्रिका विज्ञान संस्थान से एम.फिल और पीएच.डी. के साथ पंजीकृत नैदानिक मनोवैज्ञानिक हैं। डॉ. जोशी कपल्स और फैमिली थेरेपी में विशेषज्ञता के साथ एक स्वतंत्र चिकित्सक हैं।