राजस्थान उच्च न्यायालय ने सीजेएम के आदेश पर दर्ज एफआईआर को रद्द किया, कहा- रबर-स्टांप निर्णय


गणेश कुमार स्वामी   2024-12-14 03:17:14



हाल ही में, राजस्थान उच्च न्यायालय ने एक महत्वपूर्ण निर्णय में सीजेएम के आदेश पर पुलिस द्वारा दर्ज की गई एफआईआर को रद्द कर दिया। न्यायालय ने इसे रबर-स्टांप निर्णय करार देते हुए सीजेएम की पूरी न्यायिक उपेक्षा पर टिप्पणी की। न्यायालय ने कहा, कि सीजेएम ने आरोपी के खिलाफ मामले की प्राथमिक जांच किए बिना एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया, जिससे न्यायिक स्वतंत्रता का उल्लंघन हुआ।

मामले का विवरण

यह मामला एक पारिवारिक विवाद से संबंधित था, जिसमें एक वृद्ध महिला ने अपने दामाद, बेटी और बहू के खिलाफ धोखाधड़ी का आरोप लगाया था। महिला का कहना था कि आरोपियों ने उनसे कई बार पैसे और आभूषण लिए, जिन्हें वे लौटाने से इंकार कर रहे थे। हालांकि, आरोपियों का कहना था कि यह धन और आभूषण संपत्ति के हस्तांतरण के समझौते के तहत दिए गए थे, जिसे महिला ने तीसरे पक्ष को बेचकर उल्लंघन किया।

न्यायालय का निर्णय

न्यायालय ने रिकॉर्ड की जांच के बाद पाया कि पैसे और आभूषण की वापसी न करना कोई आपराधिक अपराध नहीं है। न्यायालय ने कहा, कि सीजेएम ने बिना किसी स्वतंत्र जांच के एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया, जिससे न्यायिक स्वतंत्रता का उल्लंघन हुआ। न्यायालय ने कहा, सीजेएम ने पुलिस की रिपोर्ट के आधार पर एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया, बिना यह स्वतंत्र रूप से निर्धारित किए कि कोई प्राथमिक मामला है या नहीं।

न्यायिक स्वतंत्रता का महत्व

न्यायालय ने कहा कि पारिवारिक विवादों में न्यायिक अधिकारियों को परिवारिक संबंधों को मजबूत करने और सामंजस्य बढ़ाने का प्रयास करना चाहिए। न्यायालय ने कहा, न्यायिक अधिकारियों को आरोपों की सत्यता और विश्वसनीयता की सावधानीपूर्वक जांच करनी चाहिए, ताकि अनावश्यक उत्पीड़न से बचा जा सके।

यह निर्णय न्यायिक स्वतंत्रता और पारिवारिक विवादों में न्यायिक अधिकारियों की भूमिका को स्पष्ट करता है। न्यायालय ने सीजेएम के आदेश को रद्द करते हुए एफआईआर को निरस्त कर दिया, जिससे न्यायिक प्रक्रिया में पारदर्शिता और स्वतंत्रता की आवश्यकता को रेखांकित किया।