इसरो की नई उपलब्धि : सीई20 क्रायोजेनिक इंजन का सफल समुद्र-स्तरीय परीक्षण, अंतरिक्ष विज्ञान में भारत के बढ़ते कदम
गणेश कुमार स्वामी 2024-12-13 03:27:38
इसरो ने अपने सीई20 क्रायोजेनिक इंजन का समुद्र-स्तरीय हॉट परीक्षण सफलतापूर्वक पूरा किया। यह परीक्षण तमिलनाडु के महेंद्रगिरि स्थित इसरो प्रपल्शन कॉम्प्लेक्स में किया गया। यह सफलता भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रमों में एक और मील का पत्थर साबित हो सकती है।
परीक्षण के मुख्य पहलू : क्रायोजेनिक तकनीक का कमाल
सीई20 इंजन के इस परीक्षण में इसका नोज़ल क्षेत्र अनुपात 100 के साथ प्रदर्शन किया गया। इस परीक्षण के दौरान इंजन को पुनः शुरू करने की क्षमता के लिए आवश्यक मल्टी-एलिमेंट इग्नाइटर का प्रदर्शन भी किया गया। यह परीक्षण दिखाता है कि इसरो उन्नत तकनीकों का विकास और परीक्षण कर रहा है जो भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों को और अधिक सक्षम बनाएंगे।
समुद्र-स्तरीय परीक्षण की चुनौतियां
समुद्र-स्तर पर सीई20 इंजन का परीक्षण करना अत्यधिक जटिल प्रक्रिया है। इसका मुख्य कारण इसका उच्च नोज़ल क्षेत्र अनुपात है, जिसकी निकास दबाव लगभग 50 मबार है। इस परीक्षण में फ्लो सेपरेशन और थर्मल समस्याओं के कारण गंभीर कंपन और यांत्रिक क्षति का जोखिम होता है। इन जोखिमों को कम करने के लिए इसरो ने नोज़ल प्रोटेक्शन सिस्टम नामक एक नवीन तकनीक विकसित की।
लागत और प्रक्रिया में सुधार
सीई20 इंजन की स्वीकृति परीक्षण प्रक्रिया आमतौर पर हाई-एल्टीट्यूड टेस्ट (HAT) सुविधा में की जाती है, जो जटिल और महंगी होती है। नोज़ल प्रोटेक्शन सिस्टम के उपयोग से इसरो ने इस प्रक्रिया को सरल और किफायती बनाया है। यह समुद्र-स्तरीय परीक्षण भविष्य में इस तकनीक का व्यापक उपयोग सुनिश्चित करेगा।
इंजन पुनः शुरू करने की प्रक्रिया
क्रायोजेनिक इंजन को पुनः शुरू करना अत्यंत जटिल है। इस परीक्षण में मल्टी-एलिमेंट इग्नाइटर का प्रदर्शन किया गया, जहां केवल पहले तत्व को सक्रिय किया गया और अन्य दो तत्वों की स्थिति की निगरानी की गई। इस प्रक्रिया ने दिखाया कि यह तकनीक भविष्य के मिशनों में अत्यधिक प्रभावी होगी।
सीई20 इंजन की विशेषताएं और उपलब्धियां
सीई20 इंजन इसरो के लिक्विड प्रपल्शन सिस्टम्स सेंटर द्वारा विकसित किया गया है। यह 19 टन थ्रस्ट स्तर पर काम करने के लिए डिज़ाइन किया गया है और अब तक छह LVM3 मिशनों को सफलतापूर्वक शक्ति प्रदान कर चुका है। यह इंजन हाल ही में गगनयान मिशन के लिए 20 टन थ्रस्ट स्तर पर और भविष्य के C32 स्टेज के लिए 22 टन थ्रस्ट स्तर पर उन्नत किया गया है।
भविष्य के अंतरिक्ष अभियानों के लिए प्रभाव
इस परीक्षण की सफलता ने भारत की अंतरिक्ष क्षमताओं को और मजबूती दी है। LVM3 लॉन्च व्हीकल की पेलोड क्षमता को बढ़ाने के लिए यह इंजन महत्वपूर्ण साबित होगा। गगनयान और अन्य अंतरिक्ष अभियानों में इसका उपयोग भारत को वैश्विक अंतरिक्ष दौड़ में अग्रणी बनाएगा।
अंतरिक्ष विज्ञान में आत्मनिर्भर भारत
इसरो की यह उपलब्धि भारत की अंतरिक्ष तकनीकों में आत्मनिर्भरता और नवाचार की प्रतिबद्धता को दर्शाती है। यह सफलता न केवल अंतरिक्ष अभियानों में बल्कि भारत की तकनीकी और वैज्ञानिक ताकत को भी विश्व स्तर पर साबित करती है।