राजस्थान हाई कोर्ट ने प्रशासनिक अधिकारियों को अदालत के आदेशों का पालन न करने पर सजा अल्टीमेटम


गणेश कुमार स्वामी   2024-11-20 03:37:52



राजस्थान हाई कोर्ट ने एक गंभीर मामले में प्रशासनिक अधिकारियों के खिलाफ कड़ी टिप्पणी करते हुए चेतावनी दी है कि यदि वे अदालत के आदेशों का पालन नहीं करते, तो उन्हें सजा का सामना करना पड़ेगा। यह मामला जोधपुर में सार्वजनिक भूमि पर अतिक्रमण को लेकर था, जहां अदालत ने अधिकारियों को समन भेजने का आदेश दिया है। जानिए, क्या है यह पूरा मामला और क्यों अदालत ने दी यह सख्त सजा की चेतावनी।

अदालत का कड़ा रुख

जोधपुर बेंच, राजस्थान हाई कोर्ट ने हाल ही में एक अतिक्रमण मामले में कड़ा रुख अपनाया। यह मामला फरवरी 2022 के एक आदेश का था, जिसमें जिला कलेक्टर जोधपुर को अतिक्रमण की शिकायतों का समाधान तीन महीने के भीतर करने का निर्देश दिया गया था। हालांकि, शिकायतें लंबे समय तक अनदेखी रही, और कार्रवाई में दो साल से भी ज्यादा का वक्त लग गया। इसके बाद 2023 में एक अवमानना याचिका दायर की गई, जिस पर कोर्ट ने तीखी टिप्पणी की।

अवमानना याचिका और कलेक्टर की लापरवाही

अतिक्रमण को लेकर जिला कलेक्टर और अन्य अधिकारी द्वारा आदेशों का पालन न करने पर अदालत ने इसे नियंत्रण की अवमानना माना। अदालत ने पाया कि जब तक इस मामले को लेकर अवमानना याचिका नहीं दायर की गई थी, अधिकारियों ने कोई ठोस कदम नहीं उठाया। विशेष रूप से जिला कलेक्टर, जोधपुर, और उनके सहयोगी अधिकारियों ने अदालत के आदेशों का पालन करने में देरी की और मामला किसी ने गंभीरता से नहीं लिया। इसने अदालत को इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए मजबूर किया।

कार्यवाही में देरी का कारण

कोर्ट ने रेखांकित किया कि जब अदालत के आदेश के बाद अधिकारियों ने मामले की जांच करना शुरू किया, तब तक अतिक्रमण और उसकी स्थिति पर कार्रवाई में काफी देर हो चुकी थी। अदालत ने यह भी कहा, कि यह समस्या राजस्थान के विभिन्न जिलों में आम है और इसके समाधान के लिए राज्य सरकार को एक मजबूत तंत्र की आवश्यकता है।

अधिकारियों को समन और सजा की चेतावनी

कोर्ट ने आदेश दिया कि कलेक्टर, उप-जिला अधिकारी और तहसीलदार को नोटिस भेजे जाएं, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि उन्होंने अदालत के आदेशों का पालन क्यों नहीं किया। कोर्ट ने स्पष्ट रूप से कहा, कि यदि अधिकारियों ने अदालत के आदेशों की अवहेलना की है, तो उन्हें उचित सजा दी जा सकती है, जिसमें जेल की सजा भी शामिल हो सकती है। इस मामले में अदालत ने एक बार फिर यह साबित कर दिया कि किसी भी अदालत के आदेशों का उल्लंघन बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

सार्वजनिक भूमि संरक्षण

इस मामले में एक महत्वपूर्ण पहलू यह भी है कि राजस्थान सरकार ने सार्वजनिक भूमि के संरक्षण के लिए कई उपायों को लागू किया है। 2019 में, राजस्थान हाई कोर्ट ने सार्वजनिक भूमि संरक्षण के लिए एक सेल गठित की थी, जिसका उद्देश्य अतिक्रमण की समस्या का समाधान करना था। हालांकि, अधिकारियों की लापरवाही के कारण इसका असर जमीन पर नहीं दिखा।