निखिल गुप्ता का नया मोड़ : हत्या की साजिश में खुद को निर्दोष बताया, हिंदी वकील की मांग


गणेश कुमार स्वामी   2024-10-20 08:44:07



अमेरिका में चल रहे एक हाई-प्रोफाइल मुकदमे में निखिल गुप्ता, जिन्हें खालिस्तानी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू पर हमले के लिए सुपारी देने के आरोप में गिरफ्तार किया गया है, ने एक बार फिर खुद को निर्दोष बताया है। गुप्ता ने अदालत से हिंदी भाषी वकील की मांग की है, यह कहते हुए कि उन्हें अंग्रेज़ी में पूरी तरह से निपुणता नहीं है।

मामले की पृष्ठभूमि:

निखिल गुप्ता को अमेरिका में चेक गणराज्य से प्रत्यर्पित किया गया था, जहां उन्हें हत्या की साजिश, मर्डर फॉर हायर प्लान, और मनी लॉन्ड्रिंग के आरोपों में गिरफ्तार किया गया था। उन पर आरोप है कि उन्होंने खालिस्तानी नेता गुरपतवंत सिंह पन्नू की हत्या के लिए एक हिटमैन किराए पर लेने की कोशिश की थी।

अदालत में पेशी के दौरान गुप्ता ने अपनी बेगुनाही की दुहाई दी और हिंदी भाषी वकील की मांग की, यह कहते हुए कि उन्हें अंग्रेजी में स्पष्टता नहीं है। गुप्ता के अनुसार, उन्हें आरोप पत्र सही से पढ़ने का मौका नहीं मिला था, क्योंकि उनकी अंग्रेजी कमजोर है और उन्हें अपने चश्मे की भी आवश्यकता थी।

मुकदमे की स्थिति:

अमेरिकी संघीय अदालत में न्यायाधीश विक्टर मारेरो की अध्यक्षता में सुनवाई हुई, जहां गुप्ता ने कहा कि वह दोषी नहीं हैं। यह सुनवाई प्रक्रियात्मक थी, जिसमें न्यायाधीश ने गुप्ता से पूछा कि क्या उन्होंने आरोप पत्र पढ़ा है, जिस पर गुप्ता ने कहा कि उन्होंने व्यक्तिगत रूप से इसे नहीं पढ़ा। हालांकि, उनके वकील जेफ्री चाब्रोवे ने कहा कि उन्होंने गुप्ता को पूरे आरोप पत्र को पढ़कर समझाया है।

गुप्ता के सह-आरोपी और पूर्व RAW अधिकारी विशाल यादव को भी इस मामले में सह-आरोपी के रूप में नामित किया गया है। हालांकि, यादव अमेरिका में नहीं हैं, इसलिए उन्हें अदालत में पेश नहीं किया जा सका। आरोप पत्र के अनुसार, यादव ने गुप्ता को पन्नू की हत्या के लिए हिटमैन को किराए पर लेने का निर्देश दिया था।

साजिश का खुलासा:

निखिल गुप्ता द्वारा हिटमैन के रूप में जिसे संपर्क किया गया था, वह असल में एक सरकारी मुखबिर निकला, जिसने गुप्ता को एक अंडरकवर फेडरल एजेंट से मिलवाया। यह एजेंट एक हिटमैन होने का दिखावा कर रहा था। गुप्ता ने इस एजेंट को हमले के लिए $15,000 की एडवांस राशि भी दी थी, जिसके बाद इस साजिश का पर्दाफाश हुआ और गुप्ता को गिरफ्तार किया गया।

गुप्ता की माँगें और कानूनी अधिकार:

गुप्ता ने अदालत से अपने धार्मिक अधिकारों की दुहाई देते हुए एक प्रार्थना पुस्तक की वापसी की मांग की, जिसे उनकी गिरफ्तारी के बाद जब्त कर लिया गया था। हालांकि, अभियोजन पक्ष ने कहा कि ऐसी कोई प्रार्थना पुस्तक जब्त नहीं की गई है, लेकिन अन्य व्यक्तिगत वस्तुएं जैसे पत्रिकाएं और एक उपन्यास जब्त की गई थीं। गुप्ता ने अदालत से मेट्रोपॉलिटन डिटेंशन सेंटर में कानून पुस्तकालय तक पहुंच की भी मांग की, ताकि वे मामले से जुड़े सबूतों का अध्ययन कर सकें। अभियोजक अलेक्जेंडर ली ने कहा कि वह इस सुविधा को उपलब्ध कराने की कोशिश करेंगे।

मामले की जटिलताएं:

यह मुकदमा अंतरराष्ट्रीय स्तर पर चर्चा का विषय बना हुआ है, विशेष रूप से भारतीय खुफिया एजेंसियों और अमेरिकी प्रशासन के बीच सहयोग के कारण। विशाल यादव का नाम सार्वजनिक होने के बाद, इस मामले में भारतीय एंक्वायरी टीम भी शामिल हो गई, जो अमेरिकी अधिकारियों से बातचीत के लिए वॉशिंगटन पहुंची थी।

मुकदमे की अगली सुनवाई 17 जनवरी को तय की गई है, जिससे पहले गुप्ता के वकील को सभी सबूतों की समीक्षा करने के लिए समय दिया गया है।