कालाष्टमी आज, जानिए भगवान कालभैरव की उपासना का महत्व और पूजाविधि


गणेश कुमार स्वामी   2024-03-03 08:51:45



हिंदू पंचांग के अनुसार हर महीने के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि को कालाष्टमी मनाई जाती है। फाल्गुन माह की कालाष्टमी 3 मार्च, रविवार को है। इसी दिन भानु सप्तमी और शबरी जयंती भी मनाई जाएगी। ऐसे में कालाष्टमी का दिन बहुत शुभ माना जा रहा है। 

इस दिन भगवान काल भैरव की पूजा की जाती है। भैरव, शिव के गण और पार्वती के अनुचर माने जाते हैं। हिंदू देवताओं में भैरव का बहुत ही महत्व है। भैरव का अर्थ होता है भय को हर के जगत की रक्षा करने वाला। ऐसी भी मान्यता है कि भैरव शब्द के तीन अक्षरों में ब्रह्मा, विष्णु और महेश तीनों की शक्ति समाहित है। इन्हें काशी के कोतवाल भी कहा जाता है। इनकी  शक्ति का नाम है भैरवी गिरिजा, जो अपने उपासकों की अभीष्ट दायिनी हैं। इनके दो रूप है पहला बटुक भैरव जो भक्तों को अभय देने वाले सौम्य रूप में प्रसिद्ध है तो वहीं काल भैरव अपराधिक प्रवृतियों पर नियंत्रण करने वाले भयंकर दंडनायक है।

कालाष्टमी का महत्व

धर्मग्रंथों में भगवान काल भैरव को शिवजी का उग्र स्वरूप माना गया है। इनकी उपासना से व्यक्ति को जीवन के सभी दुखों से छुटकारा मिलता है और घर में खुशियों का आगमन होता है। कालाष्टमी के दिन काल भैरव की पूजा करने से भक्तों को किसी भी तरह के भय, रोग, शत्रु और मानसिक तनाव से मुक्ति मिलती है। साथ ही किसी भी तरह का वाद विवाद, कोर्ट कचहरी के मामलों से छुटकारा पाने में भी भगवान काल भैरव आपकी मदद करते हैं। इनकी पूजा-अर्चना करने से राहु केतु के बुरे दोष से भी मुक्ति मिलती है। इनकी पूजा-आराधना से घर में नकारात्मक शक्तियां, जादू-टोने और भूत-प्रेत आदि से किसी भी प्रकार का भय नहीं रहता बल्कि इनकी उपासना से मनुष्य का आत्मविश्वास बढ़ता है।

कालभैरव की पूजाविधि

कालाष्टमी के दिन सुबह ब्रह्ममुहूर्त में उठकर स्नान आदि कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें। संभव हो तो गंगाजल नहाने के जल में डालें। इसके बाद काल भैरव के साथ भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें। भैरव को प्रसन्न करने के लिए उड़द की दाल या इससे निर्मित मिष्ठान जैसे इमरती, मीठे पुए या दूध-मेवा का भोग लगाया जाता है, चमेली का पुष्प इनको अतिप्रिय है। कालभैरव के समक्ष चौमुखी दीपक जलाएं और धूप-दीप से आरती करें। कालभैरव जी का नाम उच्चारण, मंत्र जाप, स्तोत्र, आरती इत्यादि तत्काल प्रभाव देता है और मनुष्य की दैहिक, देविक, भौतिक एवं आर्थिक समस्याएं समाप्त हो जाती हैं। नित्य भैरव चालीसा के पाठ से बड़े से बड़ा कष्ट भी समाप्त हो जाता है। कोर्ट-कचहरी के मामलों से भी मुक्ति मिलती है और प्रेत बाधा से भी मुक्ति मिलती है। श्री कालभैरव अष्टकम का पाठ करने से ज्ञान, पुण्य, सद्मार्ग, ग्रह बाधा से मुक्ति, पर्याप्त लक्ष्मी की प्राप्ति होती है।